अमित शाह ने कहा- मोदी के राज में मुसलमान सबसे सुखी, राम मंदिर मुद्दा
बीजेपी के पीएम इन वेटिंग और गुजरात के मुख्*यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे ये अभी तय नहीं है. अमित शाह ने साफ कर दिया कि राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में नहीं है.
आज तक के साथ एक्*सक्*लूसिव बातचीत में यूपी में बीजेपी के प्रभारी और गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'नरेंद्र मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे यह अभ तय नहीं है. इसका फैसला पार्टी करेगी.' जब उनसे पूछा गया कि क्*या वे खुद यूपी में किस्*मत आजमाएंगे तो उन्*होंने कहा कि ये बाद की बात है अभी तो उनका पूरा ध्*यान प्रचार में है. अमित शाह ने का कि राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में नहीं है. अमित शाह से बातचीत की है हमारे एडिटर-एट-लार्ज राहुल कंवल ने. पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्*य अंश:
आपने जिंदगी भर गुजरात में राजनीति की, आपको नरेंद्र मोदी की वजह से इतनी बड़ी जिम्मेवारी दी गई, देश का सबसे बड़ा राज्य, सबसे जटिल राज्य, उसका बनाया गया अपको इंचार्ज. लोंगों ने यह सोचा कि क्या अमित शाह वाकइ में यूपी की राजनीति इतनी जल्दी समझ पाएंगे...गुजरात की तो बाईपोलर राजनीति है, यूपी के कंप्लेक्स राजनीति को क्या आप इतनी जल्दी समझ पाएंगे?
अमित शाह - देखिए, वो तो चुनाव के नतीजे जब आएंगे तभी पता चलेगा. लेकिन मुझे भरोसा है, पार्टी ने जिस विश्वास से मुझे ये जिम्मेदारी सौंपी है, उस विश्वास से मैं बिल्कुल दमखम से पार उतारुंगा और सबसे बड़ी पार्टी बनकर हम उत्तर प्रदेश में वापस आएंगे.
क्यों दी गई आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी, क्या है आपका और मोदी का रिश्ता ऐसा कि आप मोदी के दाहिने हाथ माने जाते हैं?
अमित शाह - देखिए दो सवाल अलग-अलग है. क्यों दी गई ये तो आप राजनाथ सिंह जी से पुछिए और पार्टी के बड़े नेताओं से पूछिए. मेरा काम है जो पार्टी मुझे जिम्मेदारी दे, उस काम को मुझे मेरे अंदर जितनी भी क्षमता है, क्षमता का सही तरह से उपयोग करते हुए मैं निभाउंगा. और जहां तक मोदी जी का सवाल है तो मोदी जी का कोई खासमखास नहीं है, जो ज्यादा काम करते हैं वो उन्हें अच्छे लगते हैं. और स्वभाविक रूप से जो ज्यादा काम करता है उसे ज्यादा मौका मिलता है.
आप सीधी बात कीजिए. सीधी-सीधी बात होनी चाहिए, ऐसा न कहिए कि आप उनके खास नहीं हैं. पूरा देश आपको इस वक्त देख रहा है, सब जानते हैं मोदी को, अमित शाह को भी और देश के राजनीति को भी. यह बताइये कि उत्तर प्रदेश पर फतह करने की आपकी स्ट्रेटेजी क्या है?
अमित शाह - देखिए, वैसे उत्तर प्रदेश पर फतह करना इस बार कोई बड़ी बात है नहीं. इसके तीन कारण हैं- पहला कारण, यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ी एंटी इंकंबेंसी की लहर पूरे उत्तर प्रेदेश में है, मंहगाई और भ्रष्टाचार, देश की सुरक्षा और लचर प्रशासन. इससे लोग त्रस्त हैं तो सरकार बदलने का मूड वैसे ही बना है. दूसरा कारण है कि जो उत्तर प्रेदेश की सरकार है, इसके खिलाफ भी एंटी इंकंबेंसी पूरे पीक पर है और सपा व बसपा दोनों के कुशासन से लोग त्रस्त हैं. बसपा का कुशासन आज भी लोगों को याद है, सपा का कुशासन आज भी चल रहा है और बीजेपी के अलावे लोगों के पास कोई चारा नहीं है. अगर केंद्र में सरकार बदलनी है तो न सपा बदल सकती है, न बसपा बदल सकती है, सिर्फ बीजेपी बदल सकती है और इस बार परिवर्तन की लहर देश भर में अगर सबसे ज्यादा है तो वो उत्तर प्रदेश में है.
पर धारणा यह है कि अमित शाह को उत्तर प्रदेश इस वजह से भेजा गया है ताकि वहां हिंदु पोलराइजेशन हो. जमीन पर, सतह के नीचे अमित शाह यह मैसेज भेज रहे हैं कि किस तरह से मुसलमानों का एपीजमेंट हो रहा है, हिंदुओं को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. क्या यही अमित शाह की रणनीति है कि मोदी के नाम पर हिंदुओं को जोड़ो?
अमित शाह -देखिए, मैं सीधे संगठन के लिए काम कर रहा हूं मगर यूपी के हालात, जो लोग सरकार में हैं, उन्हीं लोगों ने ऐसे बनाए हैं कि मुझे लगता है चुनाव आते-आते क्मयुनलाइज हो जाएगा. 21 मुकदमे जो हार्डकोर टेररिस्टों के खिलाफ अगल-अलग समय में दायर किए थे, और वो लोग जेल में हैं, उन्हें जेल में से छोड़ेने कि सिफारिश इस सरकार नें की है. मैं कभी सोच ही नहीं सकता, संविधान के तहत चलने वाली सरकार इस तरह का काई स्टेप ले सकती है क्या. रोज-रोज के काम और विकास के कामों में भी एपीजमेंट के कारण, बहुमत की संख्या जो है वे हिंदु है, उसमें बड़ी नाराजगी प्रशासन के प्रति है. मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है, मुस्लिम एपीजमेंट करने के चक्कर में हिंदुओं को नाराज करने का काम मुलायम ने कर दिया है.
आप कह रहे हैं, मुलायम की सरकार, अखिलेश की सरकार चीजों को पोलराइज कर रही है. लेकिन हमने मुज्जफरनगर के दंगों में देखा, आपका विधायक था संगीत सोम जो कि झूठ-मूठ के फर्जी क्लिप सर्कुलेट कर रहा था, ताकि लोगों में यह भावना पैदा हो माइनारिटी क्मयुनिटि के खिलाफ. कौन कर रहा था यह काम, आपके पार्टी का था?
अमित शाह -ये पुलिस का वर्जन है, एक बार इस मामले को कार्ट में जाने दीजिए.
एक दफा भी संगीत सोम ने नहीं कहा कि उन्होंने नहीं किया है?
अमित शाह - इस बात को कोर्ट में जाने दीजिए, बहस होने दीजिए, आप सबको मालूम चल जाएगा कि यह फर्जी मुकदमा है. और आप सिर्फ क्लिप को क्यों देख रहे हैं, जो घटना घटी उस पर तुरंत एक्शन क्यों नहीं लिया प्रशासन नें, अगर तुरंत एक्शन लिए जाते तो तुरंत वो बात वहीं दब गई थी. क्यों रिएक्शन आया, रिएक्शन इसलिए आया कि प्रशासन ने एकतरफा कार्यवाही की. जब एक बड़ी संख्या के मन में ऐसा भाव खड़ा होता है कि प्रशासन एकतरफा कार्यवाही करता है, अन्याय हो रहा है तो लोगों में गुस्सा उबलना स्वभाविक है. अगर एक तरफा कार्यवाही नहीं होती तो कुछ नहीं होना था वहां पर. देश भर में इस तरह की घटनाएं घटती हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के अलावा कहीं कुछ नहीं होता है. क्योंकि पुलिस अपना काम करती है, वो न जाति देखती है, न धर्म देखती है. मगर उत्तर प्रदेश में पुलिस आज धर्म देखकर काम कर रही है, इसके कारण पोलराइजेशन हुआ है.
पर लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त एक डबल गेम चल रहा है. एक तरफ नरेंद्र मोदी हैं जो कहते हैं कि शौचलय पहले आना चाहिए, देवालय बाद में. दूसरी तरफ आप हैं, आप जाते हैं, पहला काम आपने यह किया कि आप अयोध्या गए, आपने कहा कि राम मंदिर यहीं बनेगा. विनय कटियार कानपुर के मंच पर खड़े होकर बोलते हैं कि हिंदुत्व, राम मंदिर का मुद्दा है चुनाव में. बाकि बीजेपी के नेता एकदम चुप्प हैं तो ये क्या गेम चल रहा है. हिदुत्व के नाम पे, राम मंदिर के नाम पे. साफ-साफ बताइये कि राम मंदिर आपके एजेंडे पर है कि नहीं?
अमित शाह - देखिए, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने बार-बार इस बात को स्पष्ट किया है मीडिया के सामने कि राम मंदिर हमारा चुनावी एजेंडा नहीं है. मुझे लगता है इसके बाद भी मीडिया के अलावा और कोई ये नहीं कह रहा कि राम मंदिर हमारे एजेंडे में है.
आप सबसे पहले अयोध्या गए और सबसे पहले आपने कहा कि हम सबकी ये भावना है और यहीं पर बनाएंगे राम मंदिर?
अमित शाह - आपने मेरी बात को या तो ठीक से सुना नहीं, या तो आप गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. मैंने कहा था कि मैने राम भगवान के सामने प्रार्थना की है कि देश कुशासन से मुक्त हो, कांग्रेस मुक्त भारत बने और यहां सबकी सहमति से बड़ा राम मंदिर का निर्माण हो, ऐसी मैंने प्रार्थना की है. न बीजेपी की कोई बात की थी, न ही चुनावी ऐजेंडे की कोई बात कही थी. जहां तक मेरी प्रार्थना का सवाल है, वो मेरा अधिकार है और मैं आज भी कहता हूं कि राम लला के सामने मैंने ऐसी प्रार्थना की थी कि सबकी सहमति से सबके सहयोग से वहां एक भव्य राम मंदिर बने और राम लला एक अच्छी जगह पर, एक भव्य जगह पर विराजें.
आपने कहा कि राम मंदिर आपके लिए चुनावी मुद्दा नहीं है तो हिंदुत्व, उत्तर प्रदेश में खासकर के, अमित शाह के लिए, नरेंद्र मोदी के लिए कितना महत्वपूर्ण है?
अमित शाह – देखिए मेरी पार्टी कि पालिसी है कि किसी का एपीजमेंट मत कीजिए, सबके साथ न्याय कीजिए. इसमें दो बात हैं, किसी का एपीजमेंट न करना और सबके साथ न्याय करना. इसमें अगर किसी का एपीजमेंट होता है तो अपने आप दूसरे छोर की भावनाएं उभरकर ऊपर आती हैं. इसको मैं नहीं रोक सकता, इसके लिए अगर कोई दोषी है तो एपीजमेंट करने वाला है.
आप भी तो तूल दे रहे हैं उस भावना को.
अमित शाह – तूल देने का सवाल ही नहीं है. जो जन भावना है उसे बीजेपी रिफलेक्ट करेगी, उसको आवाज देगी. जनभावनाओं को आवाज देना हम लोगों का काम है, और किसी के साथ भी अन्याय होगा, मेरी बात को ठीक से समझिएगा, किसी के साथ भी अन्याय होगा तो बीजेपी उसको मुखर होकर उठाएगी?
आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया. हिंदुत्व का आपके चुनाव में क्या रोल है.
अमित शाह – सरकार के द्वारा जो एपीजमेंट हो रहा है. उससे दूसरे छोड़ की भावनाएं आहत हो रही हैं और वो सरफेस पर आ गया. इसमें किसी ने उकसाया है, इस तरह की बात नहीं है. एक्शन जो सरकार का है वही दूसरे छोर की भावनाओं को उकसा रहा है.
वही एक्शन और रिएक्शन वाली बात है.
अमित शाह – सरकार के एपीजमेंट वाले एक्शन से दूसरे छोर पर रिएक्शन हुआ है और भावना रिएक्ट होकर सरफेस पर आयी है.
आपकी एक रणनिति है कि नरेंद्र मोदी को अति पिछड़ा नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करें और कहें कि पहला मौका है जब कोई अति पिछड़ा देश का प्रधानमंत्री बने, इसलिए जो पिछड़े हैं वो भी नरेंद्र मोदी को वोट दें. मेरी कुछ वरिष्ट नेताओं से बात हुई जो आपके प्रतिद्दंदी हैं, उनका कहना है कि ऐसे ही नाम लेने से या जाति के नाम पर कोई ओबीसी नेता नहीं बन जाता, कॅरियर में नरेंद्र मोदी ने अबतक क्या किया है जिसके आधार पर जनता को लगे कि वाकई में कोई नेता है जो ओबीसी है?
अमित शाह – देखिए बीजेपी मोदी जी को किसी एक वर्ग के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं कर रही. मगर वो बात सही है कि मोदी जी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं. दूसरी बात आपने कहा कि मोदी जी ने कुछ नहीं किया. मैं एक बात आपको दावे के साथ कहता हूं कि मोदी जी के 12 साल के शासन में गुजरात में ओबीसी सबसे ज्यादा सुखी है, माली तौर पर, शिक्षा कि बात में और उनका एमपावरमेंट – तीनों चीजों में अगर ओबीसी कहीं पर सुख से हैं तो मैं बेझिझक कह सकता हूं कि वो गुजरात में हैं. और इस 12 साल में मोदी का शासन रहा है. तो मोदी ने कुछ नहीं किया ओबीसी के लिए ये बात सही नहीं है. मोदी के शासन में ही गुजरात में ओबीसी बड़े पैमाने पर आगे आए हैं, उनका एमपावरमेंट हुआ है. और जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, ओबीसी आज तीनों पार्टियों से बहुत नाराज हैं क्योंकि धर्म आधारित आरक्षण की बात तीनों पार्टिंयां करती हैं और धर्म आधारित आरक्षण अगर आता है तो 50 प्रतिशत की जो कैप लगी है उसके कारण एससी/एसटी का तो कुछ नहीं जाएगा, क्योंकि वो संविधान संरक्षित बात है और जो आरक्षण कम होगा वो ओबीसी का ही होगा.
आप फिर से खौफ पैदा कर रहे हैं.
अमित शाह – नहीं खौफ पैदा नहीं कर रहा हूं, वास्तविकता बता रहा हूं. मैने कभी क्लेम नहीं किया है कि 18 प्रतिशत आरक्षण मायनरिटीज को देंगे. मेरी पार्टी इसके खिलाफ है. ये संविधान सम्मत नहीं है कि किसी भी धर्म विशेष को आरक्षण दिया जाए. फिर भी पार्टियां वोट के लालच में इसको उछाल रही हैं. इसका रिएक्शन ओबीसी में जरूर है. ओबीसी नाराज हैं कि हमारे मुंह का निवाला छीनकर माइनरिटीज को देने की बात की जा रही है.
मुसलमानों में काफी शंका है नरेंद्र मोदी को लेकर. आपके हिसाब से अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनका माइनरिटी से रिश्ता कैसा होगा.
अमित शाह – मोदी सत्ता के लिए कोई फॉरेन एलिमेंट नहीं हैं. मोदी जी तेरह साल से गुजरात में सत्ता में हैं. और कोई चुनौती नहीं है और भारत सरकार ने जो कमीशन एप्वांयट किया, उस कमीशन की रिपोर्ट में, (सच्चर कमीशन की बात कर रहा हूं मैं
तो उस रिपोर्ट के हिसाब से मुसलमान अगर सबसे ज्यादा कहीं सुखी हैं तो वो स्टेट गुजरात है. माइनरिटी का जहां तक सवाल है, जब पूरे स्टेट में बिजली जाती है तो माइनरिटी के घर भी बिजली जाएगी. पूरे स्टेट में रोड बनते हैं तो उसका उपयोग माइनरिटी के लोग भी करते हैं, पूरे स्टेट के शिक्षा का अपग्रेडेशन होता है तो उसका उपयोग माइनरिटी के बच्चों के लिए भी होगा. माइनरिटी और मेजॉरिटी के चक्कर से बाहर निकल जाइये, ये एरा हिन्*दुस्तान में खत्म हो चुका है. डेवलपमेंट के आधार पर पूरा हिन्*दुस्तान वोट करने जा रहा है.
पर हकीकत यह है कि मुसलिम पोलराइजेशन इस वक्त हो रहा है. मोदी के नाम पर दूसरी पार्टियां खौफ पैदा कर रही हैं और मुसलमानों में भी आशंका, चिंता है मोदी को लेकर. तो मोदी क्यों नहीं थोड़ा रीच आउट करते हैं. कई लोगों ने कहा कि 2002 के दंगों के लिए अगर वो तहे दिल से माफी मांगते हैं तो शायद मुसलमानों में जो चिंता है मोदी को लेकर वो उनके दिल से दूर हो जाएगी?
अमित शाह – मुसलमानों की चिंता को कम करने कि जिम्मेवारी हम पर छोड़ दीजिए. कोई मुसलमान नाराज नहीं है, न खौफजदा है, विपक्षी पार्टियां इसका जितना प्रचार करेंगी, उतना ही उनका नुकसान होगा.
जैसे हम देख रहे हैं कि सिंबलिज्म काफी हो गया है. हमने काफी रैलियों से पहले देखा कि बीजेपी की तरफ से एक नोटिस निकला कि आप टोपी पहन कर आइये, आप शेरवानी पहन कर आइये. ये तमाशा करने कि क्या जरूरत है.
अमित शाह – ये सब मीडिया की बात है.
नहीं, हमारे पास चिट्ठी है. हमने मुख्तार अब्बास नकवी को दिखलाया कि बीजेपी माइनरिटी कमिटी के लेटर हैं जिसमें ये कहा कि अगर आप रैली के लिए आएं तो आप कोशिश कीजिए.
अमित शाह – देखिए, ये चिट्टी या तो फर्जी है, या तो निजी तौर पर किसी नीचे के कार्यकर्ता ने अति उत्साह में आकर किया होगा. पार्टी ने न तो ऐसी कोई सूचना दी है न पार्टी की ओर से ऐसा कोई प्रयत्न हुआ है.
आप कहते है कि आप सिंबलिज्म के खिलाफ है और फिर आप कहते हैं कि टोपी पहन कर आइये.
अमित शाह – मैं बिल्कुल डिनाई करना चाहता हूं पार्टी की ओर से ऐसा कोई प्रयत्न नहीं हुआ. पार्टी में किसी व्यक्ति ने निजी तौर पर किया होगा. मगर मैं अधिकृत रूप से इसको डिनाई करता हूं, पार्टी ने ऐसा कोई प्रयत्न नहीं किया, न कभी करेगी.
आपके हिसाब से यूपी में अमित शाह के जाने से कितना फर्क पड़ा है, कितनी आपकी हालत सुधर गई है. आज अगर चुनाव होते हैं तो बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी.
अमित शाह – अमित शाह के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ा है. नरेंद्र मोदी के नाम पर बहुत बड़ा फर्क है. क्योंकि जिन चीजों से एंटी इंकंबैसी जेनरेट हुआ, उन सभी चीजों का जवाब लोग मोदी में देख रहे हैं. मैं सीटों के अंदाज पर जाना नहीं चाहूंगा. चुनाव में देर है. प्रत्याशी भी सभी पार्टियों के घोषित नहीं हुए हैं. मगर मैं इतना पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि यूपी में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है.
यूपी की कौन सी सीट से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ेंगे.
अमित शाह – नरेंद्र मोदी ने कहां से चुनाव लड़ना है वो अभी तय नहीं हुआ है. मोदी ने कभी अपनी सीट अपने आप तय नहीं की है. ये पार्टी तय करेगी.
आप लोगे चैलेंज. आप लड़ोगे यूपी से.
अमित शाह – मेरा लड़ना, न लड़ना बहुत देर की बात है. अभी तो मुझे यूपी का संगठन ठीक करना है.
इतने सारे बीजेपी में शर्ष नेता हैं. कई यूपी से आते हैं. तो ये जिम्मेदारी आप ही को क्यों दी गई. सबसे बड़ा चैलेंज अमित शाह को ही क्यों दिया गया?
अमित शाह – मैंने भी बहुत सोचा, लेकिन मेरे पास समय की बहुलता है, इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं लगता.
चलिए, जहां एक तरफ अमित शाह उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं वहीं एक ओर अमित शाह का एक इतिहास भी है. एक ऐसा इतिहास जिसमें आप पर चार्जशीट है. आप पर बहुत संगीन मुकदमें हैं. चर्चा यह हो रही है कि दूसरी इशरत चार्जशीट में आपका नाम हो सकता है. आपको चिंता है कॅरियर की?
अमित शाह - देखिए, चिंता मुझे जरा भी नहीं है क्योंकि मैं नहीं मानता कि मेरे कारण यूपी का काम रुकेगा. यूपी में लाखों कार्यकर्ता हैं. सबने एक साथ मिलकर एक माहौल बनाया है और अब इसे कोई रोक नहीं सकता. जहां तक मुझ पर आरोपों का जो सवाल है, ये जो फर्जी चार्जशीट मुझपर दाखिल की गई है सीबीआई के द्वारा, उससे पहले मुझपर एक भी मुकदमा मेरे 49 साल के जीवन में कभी दायर नहीं हुआ. ये पहली चार्जशीट हुई है, वो भी एक एंकांउटर की हुई है, एक एंटी-नेशनल के एंकांउटर की हुई है. और मैं दावे से कहता हूं कि ये फर्जी चार्जशीट है और हाईकोर्ट ने भी उसको स्वीकार किया है कि कोई प्राइमाफेसी केस नहीं है, इसलिए मेरा बेल दिया है और उसी फैक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐक्सेप्ट किया है कि कोई प्राइमाफेसाई केस नहीं बनता है.
अभी तो आपको सिर्फ बेल मिली है. चार्जशीट अगर होती है, तो कोर्ट को अलग से तय करना होगा कि...
अमित शाह - बेल के जजमेंट के अंदर लिखा है कि सीबीआई के लॉयर कोई प्राइमाफसाई केस कोर्ट के सामने नहीं रख सके, इसलिए हम बेल देते हैं.
डीजी बंजारा को आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. आपके साथ उन्होंने बहुत दिनों तक काम किया है. उन्होंने चिट्ठी लिखी, जिसमें लिखा कि जो भी फेक एंकांउटर कि पालिसी थी गुजरात की वो सारे के सारे अमित शाह की जानकारी में थे.
अमित शाह - देखिए दो बातें हैं, एक तो बंजारा ने अपनी चिट्ठी में लिखा ही नहीं कि ये फेक एंकांउटर्स थे. उन्होंने एंकांउटर्स लिखा है. और जहां तक पॉलिसी का सवाल था, गुजरात सरकार की पॉलिसी वेबसाईट पर रखी हुई है. हर पुलिस स्टेशन में उपलब्ध है. हर पुलिसकर्मी सीआरपीसी के हिसाब से काम करे ये गुजरात सरकार कि पॉलिसी है.
अब आपने अपनी बात कही. आप गृहमंत्री थे, बंजारा एंकांउटर स्पेशलिस्ट थे. जब बंजारा एंकांउटर स्पेशलिस्ट नहीं रहे और ये बातें निकल कर आईं, तो क्या उसके बाद लश्कर-ए-तयबा ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधना बंद कर दिया क्या?
अमित शाह - आपको मालूम नहीं, इसके बाद भी थ्रेट परसेप्शन है. इसके बाद भी इसी तरह के आईबी इनपुट आए. इसके बाद आज भी सेंट्रल आईबी थ्रेट परसेप्*शन भेज रही है. आज भी देशभर में लश्कर हो या कोई भी जिहादी संगठन उसका सबसे बड़ा निशाना कोई अगर है तो वो नरेंद्र मोदी हैं.
क्योंकि माना ये गया कि थोड़ा नेशनल इमेज देना चाहते थे कि वो थोड़े कट्टर हैं, आतंकियों के खिलाफ लड़ेंगे, इसलिए आपने इन बिचारे लोगों को मरवा दिया. ऐसा आपके प्रतिद्वंदियों का कहना है?
अमित शाह - इमेज बनाने के लिए कोई एंकांउटर की जरूरत नहीं थी, ये आप लोगों ने ऐसे ही बना दिया.
जांच के डाईरेक्शन सुप्रीम कोर्ट से आ रहे हैं?
अमित शाह - ये जांच ही राजनीतिक है. सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन सच्ची जांच करने का है लेकिन जांच पॉलीटिकल होती है, और अगर इसी तरह से जांच हो तो देश का एक भी राजनेता जेल में जाने से नहीं बचेगा.
लोग कहते हैं कि अगर कोई नरेंद्र मोदी की कमजोर कड़ी बन सकता है तो वो अमित शाह हैं?
अमित शाह - ये समय बताएगा कि मजबूत या कमजोर कड़ी बनेगा.
आपको नहीं लगता कि मोदी ने एक बहुत बड़ा रिश्क लिया, आपको प्रोजेक्ट करके. ये जानते हुए कि आप पर किस तरह के चार्जेज हैं?
अमित शाह - देखिए पहले भी सोहराबुद्दीन का मुद्दा बनाया, उसके बाद में गुजरात के चुनाव हुए, स्थानीय निकोयों के चुनाव हुए, जनता ने ये बात नहीं मानी. कुछ भी गलत करेंगे तो वो उन पर बूमरैंग कर जाएगी.
बात आपके मिशन 272 की. यूपी में देख रहे हैं कि कुछ स्पार्क है, बिहार में चर्चा हो रही है, लेकिन अब भी कई सारी पॉलीटिकल पार्टियां ऐसी हैं जो कि नरेंद्र मोदी से वास्ता नहीं रखना चाहतीं?
अमित शाह - जब पहले भी अटल जी की सरकार बनी थी, जब हमारे पास बहुमत कम था, तब कोई भी हमारे साथ नहीं था. जैसे ही हम 180 क्रॉस कर गए सब हमारे साथ आ गए. हिन्*दुस्तान के इतिहास में 180 का आंकड़ा जादुई आंकड़ा है, जो 180 क्रॉस करता है वो एक अच्छा आंकड़ा है. 180 जो क्रॉस नहीं कर सकते, लोग उनके साथ नहीं जाना चाहते. कोई अपने पत्ते चुनाव से पहले स्वभाविक रूप से नहीं खोलता है.
क्योंकि उत्तर और पश्चिम भारत से हम नीचे जाते हैं तो कुछ अनटचेब्लिटी है मोदी के लिए. कहा जाता है कि जयललिता जी से उनके अच्छे रिश्ते हैं, वो दो दफा चेन्नई चले जाते हैं. लेकिन जयललिता नहीं मिलीं?
अमित शाह - ये गलत बात है...
दिल्ली में आप लोगों ने बहुत कबाड़ा कर दिया. जिस तरह से लड़ाई चल रही है. हर्षवर्धन, विजय गोयल ये तो बहुत शर्मनाक है?
अमित शाह - देखिए डिवाइड हाउस आपको दिख रहा है. मुझे नहीं दिख रहा है. बीजेपी शब्द को जब प्रयोग करते हैं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक सभी आते हैं. एक झगड़ा जो आपको दिखाई दे रहा है वो नेता तय होने तक आपको दिखाई देगा. विजय गोयल का एक स्पांटेनियस रिएक्शन हो सकता है, मगर हमारी पार्टी में नेता तय होने के बाद कभी ऐसा नहीं होता. हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे. आप देखिएगा, नेता तय होने के बाद आपको कोई डिवाइड नहीं दिखेगा.
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exclusive interview of narendra modis close aide amit shah: