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Zara Ankh me Bhar Lo Paani : तुम मुझे फिर गले लगाओगे

Chanakyaa

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शहीद मेजर मुकुंद वरदराजन की पत्नी इंदु मुकुंद जब 66वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से अशोक चक्र लेने पहुंचीं, तो उन्होंने अपने इमोशन को काबू में रखा। इंदु के इस साहस की सोशल मीडिया पर जमकर प्रशंसा हुई। मुकुंद वरदराजन की एक 3 साल की बेटी है। बेटी को लगता है कि पापा ऑफिस गए हैं।


जब इंदु से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह मेरे पति के शौर्य का दिन था न कि दुख का। दुख भी था, लेकिन अपने परिवार वालों को लिए इस पर काबू रखना ज्यादा जरूरी था। मुझे अपने पति पर गर्व है। यदि यह शौर्य सम्मान वह खुद लेते तो और खुशी होती। लेकिन दुर्भाग्य से वह नहीं हैं। सम्मान लेते वक्त इमोशन पर काबू रखना ज्यादा जरूरी था। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे परिवार वाले अपसेट हों। देश देखना चाहता था कि मेजर वरदराजन था, उनके न होने का दुख मेरा निजी है।'

एनडीटीवी से एक इंटरव्यू में में इंदु ने कहा, 'मैंने प्रेम विवाह किया था। मेरी उनसे पहली मुलाकात मद्रास क्रिस्चन कॉलेज में हुई थी। वह मेरे लिए अनोखा शख्स थे। उन्हें परिवार से काफी लगाव था। वह बाहर से कठोर लेकिन भीतर से बेहद कोमल थे। वह कोई साधारण आदमी नहीं थे। हम दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। अब भी करती हूं। वह मेरे लिए असाधारण प्रेरणा थे।'

इंदु ने कहा, 'मेरी बेटी अभी तीन साल 9 महीने की है। उसे लगता है कि पापा ऑफिस गए हैं। वह सोचती है कि पापा ऑफिस से आते नहीं। मेरी बेटी उनकी वर्दी बारे में पूछती है। उन्हें बहुत मिस करती है। उसे समझाना बहुत मुश्किल है। उसे मैंने नहीं बताया था कि उसके पापा के लिए आज बेहद अहम दिन है। इतना बताया था कि पापा को कुछ मिलने वाला है। यदि उसे बताती कि आज मिलने वाला है तो कई लोगों को वर्दी में देख पूछती कि पापा कहां हैं। इसलिए उसे मैंने नहीं बताया। मैंने उससे कहा कि तुम्हारे अप्पा किसी फंक्शन में गए हैं और वहीं उनको कुछ मिलेगा। उसे लगता है कि उसके अप्पा अब नहीं आएंगे लेकिन सवाल फिर भी पूछती है। वह जैसे-जैसे बड़ी होगी, उसे समझाना मेरे लिए ज्यादा आसान होगा।'

इंदु आज की तारीख में 31 साल की हैं। मेजर मुकुंद वरदराजन भी 31 साल की उम्र में आतंकियों से लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गए। इंदु ने कहा, 'मेरी मोहब्बत अब भी जिंदा है। मैं कोशिश कर रही हूं कि खुशी से अपने परिवार के साथ जीवन को आगे बढ़ाऊं। ज्यादातर आर्मी ऑफिसर्स अपनी जॉब के बारे में बीवियों को कुछ बताते नहीं हैं। मुकुंद ने भी ऐसा कुछ नहीं बताया था कि जम्मू-कश्मीर मुश्किल पोस्टिंग है। ऐसे में आप बहुत ज्यादा सवाल नहीं कर सकते। इस मुठभेड़ से पहले ही एक इलेक्शन बूथ पर अटैक हुआ था, लेकिन तब सब कुछ ठीक रहा था। मैं उन्हें बतौर सैनिक एक देशभक्त के रूप में याद करती हूं।'

जब इंदु से पूछा गया कि आपके चेहरे पर सम्मान लेते वक्त गर्व के अलावा कोई भाव नहीं था, कैसे काबू किया? इस पर इंदु ने कहा, 'मेरे भीतर बस वही हैं और तब भी वही थे। यदि मेरे आंसू निकलते तो मैं उनका अपमान करती। जब मैं सम्मान ले रही थी तब भी वह वहीं थे।' इंदु ने कहा, 'वह अपने माता-पिता के बेहद प्यारे थे। वह भी अपने मां-पिता का बहुत आदर करते थे। एक सैनिक के रूप में भी वह बहुत समर्पित शख्स थे। वह लगातार खुद को दुरुस्त करने की कोशिश में रहते थे। पिता के रूप में भी वह बहुत समर्पित थे।'

शहीद मुकुंद वरदराजन तमिलनाडू के रहने वाले थे और पिछले साल अप्रैल में जम्मू कश्मीर के शोपियां में शहीद हुए थे। राजपूत रेजीमेंट के अधिकारी मेजर वरदराजन ने मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। उनके असाधारण साहस और बलिदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है। मेजर मुकुंद वरदराजन की तरफ से उनकी पत्नी इंदु वरदराजन ने यह सम्मान ग्रहण किया है।

जिस दिन मेजर मुकुंज वरदराजन आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए थे उसी रात इनकी पत्नी इंदु ने यह कविता लिखी थी-

एक ऐसा आदमी जो मुझे तहे दिल से प्यार करता था
एक ऐसा आदमी जो मेरे बच्चे को पिता का प्यार देता था
एक ऐसा आदमी जो सचाई में यकीन करता था
एक ऐसा आदमी जो अपने कर्म पर भरोसा करता था
एक ऐसा आदमी जो कभी अपने आपको हीरो बनाकर पेश नहीं करता था
एक ऐसा आदमी जो मेरी रूह में रहता था
एक ऐसा आदमी जो सबके प्रति संवेदनशील था
एक ऐसा आदमी जो मुझे अपनी जिंदगी से ज्यादा प्यार करता था
लेकिन अब मुझे उसका इंतजार है...
वह अब ईश्वर के साथ है
मुझे यकीन है कि एक दिन मेरी उससे मुलाकात होगी
मुझे विश्वास है कि वह मुझे फिर उसी गर्मजोशी से गले लगाएगा
मैं उससे अपनी सांस रुकने की कतई शिकायत नहीं करूंगी
मुझे विश्वास है कि ये सबकुछ होगा
तुम मुझे फिर गले लगाओगे
उसी तरह गले लगाओगे जिस तरह तुम चाहते हो


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@XiNiX ... These are the moments every service man desire ... death is truth of life but how it comes & how you accept it is the real deal.

Nation is proud of Major Mukund... that is real thing.

Salute...
 
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