खतरे का उदघोष बजा है,रणभूमी तैयार करो,
सही वक्त है,चुन चुन करके,गद्दारों पर वार करो,
आतंकी दो चार मार कर हम खुशियों से फूल गए,
सरहद की चिंताओं में हम घर के भेदी भूल गए,
सरहद पर कांटे हैं,लेकिन घर के भीतर नागफनी,
जिनके हाथ मशाले सौंपी,वो करते है आगजनी,
ये भारत की बर्बादी के कसे कथानक लगते हैं...