अब शुक्र ग्रह पर फतह की तैयारी - ISRO,s next target is planet Venus - Rajasthan Patrika#
जोधपुर। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की अगली छलांग सौरमण्डल के सबसे चमकीले तारे शुक्र ग्रह की होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने इसकी योजना बनानी शुरू कर दी है। अब तक अमरीका की नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ही शुक्र ग्रह पर अपने मिशन भेज सकी है, लेकिन वहां तापमान अधिक होने के कारण किसी भी यान को उतरने में सफलता नहीं मिली। जोधपुर में चल रहे इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो साइंस (आईसीआरएस) के चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्लेनेरी (ग्रह से संबंधित) सेशन में आईसीआरएस के निदेशक प्रो. ओपीएन कल्ला ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में हैदराबाद में हुई इसरो की बैठक में शुक्र ग्रह पर जाने की रणनीति पर चर्चा की गई। भारत की यह योजना चंद्रमा व मंगल ग्रह पर खोज के समानांतर चलेगी। चंद्रमा पर रोलर युक्त मिशन चंद्रयान-2 साल भर बाद 2016 में रवाना होगा। योजना तो है पिछले महीने सेमिनार में शुक्र ग्रह पर जाने की योजना पर विचार विमर्श किया गया। योजना में समय लगेगा, क्योंकि शुक्र के पास जाने पर सूर्य की गुरूत्वाकष्ाüण शक्ति का भी तोड़ निकालना है। डॉ. नरेंद्र भण्डारी,वरिष्ठ वैज्ञानिक, फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री, अहमदाबाद (अंतरिक्ष विभाग )यह खोजना हैशुक्र की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 3.7 करोड़ किलोमीटर और अधिकतम करीब 26 करोड़ किलोमीटर है। यहां सतह का तापमान 450 डिग्री सेंटिग्रेड है और आसमां में कार्बनडाई ऑक्साइड के बादल हैं। यहां हर समय सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश होती रहती है। इसरो का मिशन यहां सल्फ्यूरिक एसिड के बहुतायात में होने, इसके निर्माण और इसकी सतह के अधिक गर्म होने के कारण तलाशेगा।
जोधपुर। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की अगली छलांग सौरमण्डल के सबसे चमकीले तारे शुक्र ग्रह की होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने इसकी योजना बनानी शुरू कर दी है। अब तक अमरीका की नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ही शुक्र ग्रह पर अपने मिशन भेज सकी है, लेकिन वहां तापमान अधिक होने के कारण किसी भी यान को उतरने में सफलता नहीं मिली। जोधपुर में चल रहे इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो साइंस (आईसीआरएस) के चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्लेनेरी (ग्रह से संबंधित) सेशन में आईसीआरएस के निदेशक प्रो. ओपीएन कल्ला ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में हैदराबाद में हुई इसरो की बैठक में शुक्र ग्रह पर जाने की रणनीति पर चर्चा की गई। भारत की यह योजना चंद्रमा व मंगल ग्रह पर खोज के समानांतर चलेगी। चंद्रमा पर रोलर युक्त मिशन चंद्रयान-2 साल भर बाद 2016 में रवाना होगा। योजना तो है पिछले महीने सेमिनार में शुक्र ग्रह पर जाने की योजना पर विचार विमर्श किया गया। योजना में समय लगेगा, क्योंकि शुक्र के पास जाने पर सूर्य की गुरूत्वाकष्ाüण शक्ति का भी तोड़ निकालना है। डॉ. नरेंद्र भण्डारी,वरिष्ठ वैज्ञानिक, फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री, अहमदाबाद (अंतरिक्ष विभाग )यह खोजना हैशुक्र की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 3.7 करोड़ किलोमीटर और अधिकतम करीब 26 करोड़ किलोमीटर है। यहां सतह का तापमान 450 डिग्री सेंटिग्रेड है और आसमां में कार्बनडाई ऑक्साइड के बादल हैं। यहां हर समय सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश होती रहती है। इसरो का मिशन यहां सल्फ्यूरिक एसिड के बहुतायात में होने, इसके निर्माण और इसकी सतह के अधिक गर्म होने के कारण तलाशेगा।